प्रशांत पंड्या का फिला जगत

डाक टिकट संग्रह के सर्व प्रथम हिन्दी ब्लॉग में आपका स्वागत है | इस माध्यम से भारतीय राष्ट्रीय भाषा में डाक टिकट संग्रह के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने का यह एक प्रयास है |


क्या आप जानते हैं कि निजी फोटो
प्रकाशित करवा कर अपने व्यक्तिगत या निजी डाक टिकट (Personalized Postage Stamps) बनवाये जा सकते हैं ? हालाँकि यह सुविधा हर देश में नहीं है पर फिलहाल ऑस्ट्रिया (Austria), आलैंड द्वीप (Aland), ऑस्ट्रेलिया (Australia), कनाडा (Canada), फ्रांस (France), जर्मनी (Germany), मलेशिया (Malaysia), माल्टा (Malta), हॉलैंड (Netherlands), न्यूज़ीलैंड (New Zealand), सिंगापुर (Singapore), इंग्लैंड (UK), यूक्रेन (Ukaraine) अमेरिका (USA) जैसे देशों में व्यक्तिगत या निजी डाक टिकट बनवाए जा सकते हैं। अमेरिका में स्टेंप्स.कोम और जैजल.कॉम द्वारा इस प्रकार के डाक टिकट उपलब्ध कराए जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने भी व्यक्तिगत डाक टिकट उपलब्ध करवाए है ।



पिछले साल दैनिकों में हॉलैंड या नीदरलैंड सरकार द्वारा लोकप्रिय भोजपुरी गायक और अभिनेता मनोज तिवारी कोसम्मानित करने के लिए एक डाक टिकट (Postage Stamp) जारी किये जाने के समाचार प्रकाशित हुए थे लेकिनवे डाकटिकट व्यक्तिगत या निजी डाक टिकट ही थे। कुछ समय पहले इसी प्रकार के समाचार इंटरनेट के माध्यम सेपढने को मिले जिसमें बताया गया था की टी ऐन टी पोस्ट (TNT Post) हॉलैंड (Netherlands) के डाक विभागद्वारा आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के सम्मान में चार डाक टिकट जारी किए गए लेकीन वे भी व्यक्तिगत डाक टिकट ही थे ।

वर्तमान युग में पत्र लेखन की आदत बिलकुल ही कम होने की वजह से कई देशों के डाक विभाग द्वारा विशेष रूप से डाक सेवा को लोकप्रिय बनाने के लिए यह तरीका अपनाया जा रहा है । व्यक्तिगत या निजी टिकट सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया (Australia) पोस्ट द्वारा 1999 में प्रस्तुत किए गए थे उसके बाद दुनिया के कई देशों के डाक विभाग द्वारा व्यक्तिगत डाक टिकट जारी किए जा रहे हैं । व्यक्तिगत या निजी डाक टिकट ऐसे डाक टिकट है जो कोई भी व्यक्ति निजी अभिव्यक्ति के लिये किसी भी प्रकार की तस्वीर के साथ ऑर्डर (Order) देकर उसकी क़ीमत चुका कर बनवा सकता है । व्यक्तिगत रूप से डाकघर पर जाकर तस्वीर निकलवा कर या इंटरनेट के माध्यम से अपने पसंद की तस्वीर ऑनलाइन अप लोड कर के ऑर्डर (Order) दिया जा सकता है । निजी टिकट जोड़ियाँ डाक टिकटों (Setenant Stamps) की तरह दो भागों से बनी होती हैं । एक हिस्से के डाक टिकट में मूल्य, देश आदि के नाम शामिल होते है और अन्य आधा हिस्सा जोसुरक्षा प्रिंटर द्वारा रिक्त छोड़ दिया जाता है उसमें खरीदार द्वारा वांछित रूप की तस्वीर एवं उसका विवरण होता है। बाद में ये दोनों मिलकर एक डाक टिकट का रूप ले लेते है।


सिंगापुर में इसी प्रकार से बनवाए गए मेरे दो मित्रों के व्यक्तिगत या निजी डाक टिकट यहाँ हैं। उपर अहमदाबाद के कौशल पारीख के चित्र पर आधारित डाक टिकटें है जो उन्होंने सिंगापुर यात्रा के दौरान बनवाये थे । इसके निचेकौशल पारिख के निजी डाक टिकटों वाला पंजिकृत लिफाफा (Registered Envelope) है जो सिंगापुर से कौशल पारिख द्वारा हमारे फ़िलाटेलिस्ट मित्र श्रीकांत पारिख को भेजा गया है । मेरे एक अन्य फ़िलाटेलिस्ट मित्र वराद ढाकी के चित्र पर आधारित सिंगापुर के डाक टिकट भी नीचे दिखाये है।




इस प्रकार के डाक टिकट डाकखाने में चित्र खींचकर तुरंत तैयार किये जाते हैं इसलिए अक्सर इसकी छपाई में कभी कभी वह सफ़ाई नहीं दिखाई देती जो डाक विभाग द्वारा जारी किए गए डाक टिकटों में दिखाई देती है ।

भारतीय डाक विभाग द्वारा व्यक्तिगत डाक टिकटें अज्ञात समस्याओं की वजह से आधिकारिक तौर पर नही जारी किये गये हैं लेकिन दिलचस्प बात यह है कि पश्चिम बंगाल डाक परिमंडल (West Bengal Postal Circle) ने दिसंबर 2001 में व्यक्तिगत डाक टिकटों का एक प्रयोग किया था | 21 से 31 दिसम्बर 2001 को कोलकाता में आयोजित पंद्रहवें भारत औद्योगिक मेले (15th Industrial India Trade Fair) के दौरान भारतीय संस्करण के व्यक्तिगत डाक टिकट जारी किये गये थे । दाहिने ओर भारत का सर्वप्रथम व्यक्तिगत डाक टिकट और विशेष रद्दिकरण (Special Cancellation) दिखाये गये है। नीचे दिखाया गया लिफ़ाफा हमारी फ़िलाटेलिस्ट मित्र श्रीमती जीवन ज्योति को श्री दीपक डे द्वारा भेजा गया है जो शायद भारत का पहला लिफाफा होगा जिसके उपर व्यक्तिगत डाक टिकट का उपयोग किया गया है ।






इस भारतीय संस्करण के व्यक्तिगत डाक टिकट में कोरे १/४ आकार के कागज (¼ size blank paper sheet) को चार गुणा चार की पंक्तियों (4 x 4 row) में डाक टिकट के आकार के छिद्रण के साथ तैयार रखा गया था। खरीदार की तस्वीर एक पंक्ति में छपी जाती थी और अगली पंक्ति को खाली रखा जाता था। खाली स्थान में पंचतंत्र (Panchatantra) के विषयों पर जारी किए गए भारतीय डाक टिकट को चिपकाया जाता था। इस तरह बना था व्यक्तिगत डाक टिकटों का प्रथम भारतीय संस्करण। इस प्रयोग में जो काग़ज़ का इस्तेमाल किया गया था वह गोंद के बिना का काग़ज़ था और इसके किनारों पर बनाए गए छेद बहुत साफ़ नहीं थे। (ungummed glazed paper, with crude perforation)

कोलकाता में ही 31 जनवरी से 10 फरवरी 2002 तक आयोजित सत्ताइसवें कोलकाता पुस्तक मेले (27th Calcutta Book Fair) के समय दूसरा प्रयोग किया गया। इस बार कोलकाता सुरक्षा प्रेस, कोलकाता से गोंद वाले सुरक्षा कागज की व्यवस्था की गई थी। कोलकाता में व्यक्तिगत डाक टिकट की लोकप्रियता को देख कर, अक्तूबरमें गुजरात डाक परिमंडल ने "GPA – 2002” नामक "एक फ़्रेम डाक टिकट प्रदर्शनी" के समय व्यक्तिगत डाक टिकट जारी करने के लिए सहमति दी थी लेकिन कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण कुछ प्रयोगों के बाद व्यक्तिगत डाक टिकट जारी नहीं किये जा सके।

व्यक्तिगत टिकटों के पहले दो प्रयोग लोकप्रिय होने की वजह से कोलकाता में 21 से 31 दिसम्बर 2002 को आयोजित सोलाहवें भारतीय औद्योगिक मेले के दौरान व्यक्तिगत डाक टिकट जारी किये गये । इसबार कोलकाता सुरक्षा प्रेस, कोलकाता के द्वारा आपूर्ति कीये गये अण्डाकार छेद वाले सुरक्षा कागज का इस्तेमाल किया गया था ।


चौथी बार कोलकाता में ही 29 जनवरी से 9 फ़रवरी 2003 कोलकाता मैदान में आयोजित अठाईसवें पुस्तक मेले के दौरान व्यक्तिगत टिकट जारी किए गए थे। इस प्रकार भारत में चार बार प्रयोगात्मक रूप से व्यक्तिगत टिकट जारी किए गए हैं । ऊपर भारत के चौथे निजी डाक टिकट पर हमारे फ़िलाटेलिस्ट मित्र श्री अशोककुमार बायेंवाला कि तसवीर दिखाई गयी है ।


शायद आने वाले दिनों में भारतीय डाक विभाग द्वारा आधिकारिक तौर पर हर एक डाक घर में व्यक्तिगत डाक टिकटों की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी और हम डाक घर में जा कर अपनी स्वयं की तस्वीर खिंचवाकर अपने खुद के व्यक्तिगत डाक टिकटों का ऑर्डर दे पाएँगे।

व्यक्तिगत टिकटों का उद्देश्य अपने प्रियजनों को सम्मानित करना, किसी अविस्मरणीय पल को अपने मित्रों और संबंधियों में बाँटना के लिए होता है। बहुत से लोग अपनी खुशी और शौक के लिए भी व्यक्तिगत डाक टिकट बनवाते हैं।

संदर्भ : Personalised Stamps of India, GPA News, Vol 6, Jan-Feb. 2003, (अशोककुमार बायेंवाला)

सौजन्य: श्री अशोककुमार बायेंवाला, श्री श्रीकांत परीख, श्री वराद ढाकी, श्रीमती जीवन ज्योति।




निजी टिकटों के बारे में पढ़ने के बाद मुझे विश्वास है की आप यहां दिखाये गये कार्टून में वर्णित चेहरों के निजी डाक टिकट ज़रुर देखने कि उम्मीद रखेंगे ।

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कार्टूनिस्ट: कीर्तीश भट्ट, इंदौर (दैनिक समाचारपत्र "नई दुनिया" के कार्टूनिस्ट)

5 comments:

Aapke blog par aana ek achcha anubhav raha.Badhai.

बेनामी ने कहा…

Prashantji,
Namaskar,
Aapke Is blog main di gai jankari ke liye shukriya.
vijay modi,09426413044
vijay_idom@rediffmail.com

Your knowledge on philately is amazing and your post are very informative. I really like the information you provide on various topics. I am looking forward for a post on stamps with errors, not perforation, cutting or printing error but incorrect image, incorrect names, etc. I have some stamps with error I will mail you info and images.

thanks
shrikant modh
http://www.philatelynews.com

It is really an interesting website, I can only understand a few seemingly familiar words though, but the pictures are great. :)

I have also got a personalised stamp recently, I think it is a really great idea.

Regards,
Wei Jie
Singapore

http://www.tanwj.com

I especially like the fact that you have chosen Hindi as a medium to show your expertise.